Thursday, April 23, 2009
जोश नजरअंदाज
देश की पंद्रवी लोकसभा के लिए चुनाव के दो दौर का मतदान हो चुका है दोनों ही दौर का मतदान प्रतिशत काफी कम रहा है इसे देख कर साफ लगता है कि युवा वर्ग का मौजूदा राजनीतिक दलों व राजनेताओं से विश्वास उठ गया है मतदान में युवाओं की कम भागीदारी साफ झलकाती है कि मौजूदा राजनीति माहौल से उनका विश्वास ही उठ गया है राजनीति में बढते अपराधिकरण व छींटाकसी का जो दौर इन दिनों चल रहा है वो देश को कहा ले जाएंगा पता नहीं लेकिन युवाओं का राजनीति के प्रति विरक्त भाव अगर यू ही चलता रहा तो बरसों से सत्ता का सुख भोग रहे यह राजनेता देश का बेडा गर्ग करते रहेगे इसके लिए कुछ हद तक सभी राजनीतिक दल व मौजूदा व्यवस्था भी जिम्मेदार है जहां बरसों तक एक कार्यकत्ता पार्टी की सेवा करने पर भी आगे नहीं बढ पाता है और धन व पहुंच के बल पर अन्य लोग हुकूमत करने आ जाते है पार्टियों का यह रवैया ही युवाओं को उनसे दूर कर रहा है यदा कदा कुछ स्थानों पर युवा किसी पार्टी के साथ जुडे दिखाई देते है तो उनमें भी बहुत से ऐसे होते है जिनके पिता राजनीति में है या किसी अपराधिक पृष्ठ भूमि के होने के कारण वे राजनीतिक दलों से जुड अपने अपराधों को छुपाने में लगे हैत्र
Sunday, April 12, 2009
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